कम समय में - ज्यादा काम - कैसे ? Smart Working

कम समय में - ज्यादा काम - कैसे ?

किसी जगह पर तेजू और धीरू, दो व्यक्ति रहते थे। दोनों ही लकडहारे थे, और जंगल में पेड़ काट कर अपनी कमाई करतें थे।

दोनों की उम्र बराबर थी, और दोनों ही बराबर टाइम देते थे, पर तेजू रोजाना, ज्यादा पेड़ काटता था, और धीरू कम पेड़ काट पाता था। शाम को घर जाते समय तेजू तो चुस्त रहता, पर धीरू बहुत ही सुस्त और थका हुआ।

आखिर एक दिन, धीरू ने तेजू से पूछ ही लिया, की भाई क्या कारण है की, तुम ज्यादा पेड़ काटते हो, और फिर भी चुस्त और बिना थके रहते हो.

तेजू ने बताया, मैं एक पेड़ काटने के बाद, अपनी कुल्हाड़ी की धार फिर से तेज करता हूँ, और फिर अगला पेड़ काटता हूँ.  इससे पेड़ काटने से, मुझे जो थकान होती है, वो भी खत्म हो जाती है साथ ही, कुल्हाड़ी की धार तेज होने से, अगला पेड़ काटने में कम मेहनत लगती है। इसतरह पूरे दिन मैं  काम करता हूँ और थकान भी उतर जाती है।

तो अपने जाना की, लगातार सिर्फ काम करते रहना, हमारी तरक्की के लिए काफी नहीं हैं, हमें समय-समय पर अपने ज्ञान की धार को तेज करते रहना चाहिए, यानि अपने ज्ञान को बढ़ाते रहना चाहिए.

हम जो भी काम कर रहें होते हैं, उसमे ऐसा तरीका जरूर होता है, जो उस काम को, और बेहतर, और कम समय में करने वाला होता है, बस जरूरत है, उसे जानने की।
-संजय माँकण 

What is the Best ?


आपके लिए क्या अच्छा है ? सोच समझ कर चुने और आगे बढ़ें 

एक गरीब युवक, अपनी गरीबी से  परेशान  होकर,  अपना जीवन समाप्त करने नदी पर गया, वहां एक साधू ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। 

साधू ने, युवक की परेशानी को सुन कर कहा, कि  मेरे पास एक  विद्या है, जिससे ऐसा जादुई घड़ा बन  जायेगा कि जो भी इच्छा इस घड़े से मांगोगे, ये जादुई घड़ा पूरी कर देगा, पर जिस दिन भी ये घड़ा फूट गया, उसी समय, जो कुछ भी इस घड़े ने दिया है, वह सब गायब हो जायेगा।

अगर तुम मेरी 2 साल तक सेवा करो, तो ये घड़ा, मैं तुम्हे दे सकता हूँ और, अगर 5 साल तक तुम मेरी सेवा करो, तो मैं, ये घड़ा बनाने की विद्या तुम्हे सीखा दूंगा।  बोलो तुम क्या चाहते हो,

युवक ने कहा, महाराज  मैं तो 2 साल ही आप की सेवा करना चाहूँगा , मुझे तो जल्द से जल्द, बस ये घड़ा ही चाहिए, मैं इसे बहुत संभाल कर रखूँगा, कभी फूटने ही नहीं दूंगा।

इस तरह 2 साल सेवा करने के बाद, युवक ने वो जादुई घड़ा प्राप्त कर लिया, और अपने घर पहुँच गया।

उसने घड़े से अपनी हर इच्छा पूरी करवानी शुरू कर दी, महल बनवाया, नौकर चाकर मांगे,  सभी को अपनी शान शौकत दिखाने लगा, सभी को बुला-बुला कर दावतें देने लगा और बहुत ही विलासिता का जीवन जीने लगा,  उसने शराब भी पीनी शुरू कर दी और एक दिन नशें में, घड़ा सर पर रख नाचने लगा और ठोकर लगने से घड़ा गिर गया और फूट गया.

घड़ा फूटते ही सभी कुछ गायब हो गया, अब युवक सोचने लगा कि काश मैंने जल्दबाजी न की होती और घड़ा बनाने की विद्या सीख ली होती, तो आज मैं,  फिर से कंगाल न होता।

" ईश्वर  हमें हमेशा 2 रास्ते पर रखता है एक आसान -जल्दी वाला  और दूसरा थोडा लम्बे समय वाला, पर गहरे ज्ञान वाला, ये हमें चुनना होता है की हम किस रास्ते पर चलें "


"  कोई भी काम जल्दी में करना अच्छा नहीं होता, बल्कि उसके विषय में गहरा ज्ञान आपको अनुभवी बनाता है "

सफलता "Success" कैसे पायें


सफलता "Success" कैसे पायें  (How to get Success)

सीखें और समझें - सिर्फ ज्यादा देर तक काम करने से - ज्यादा कमाई नहीं होती 

आइये इसे एक कहानी से जानेंगे  - लल्लू और मुनीम 


एक सेठ के यहाँ, एक मुनीम और एक नौकर काम करतें थे। नौकर 24 घंटे सेठ के साथ रहता, और सारे घरेलू  काम करता था, जैसे खाना पकाना, साफ सफाई करना, सेठ की मालिश करना आदि। नौकर का नाम लल्लू था और 5000 Rs. महिना तनख्वाह (salary) पाता था 

सेठ का काम, दुसरे राज्यों से,  ड्राई फ्रूट जैसे बादाम, किशमिश, काजू  थोक में मंगवा कर, अपने शहर में थोक में बेचना था। शहर में एक नदी थी और सेठ का सामान नावों से दूसरे  राज्यों से आता था और मुनीम उन सभी आने वाले सामान को profit (लाभ) के साथ इस शहर में बेचने का काम करता था.  शहर में इन सामान का क्या भाव चल रहा है मुनीम इसका  ध्यान रखता था। 

नदी तक आने-जाने में आधा दिन लग जाता था.  पर मुनीम, दिन में 12 बजे आता, और शाम 6 बजे तक चला जाता था। काम करने के उसे 25,000 Rs. महिना तनख्वाह (salary) मिलती थी।

लल्लू  अपनी सैलरी को लेकर कई बार सोचता की, वह तो ज्यादा देर तक काम करता है, उसे सेठ कम सैलरी देता है, और मुनीम जो कम समय के लिए नौकरी पर आता है, उसे ज्यादा सैलरी देता है. 

आखिर बहुत सोचने के बाद, लल्लू ने सेठ से पूछ ही लिया, की सेठ जी, मुझे सैलरी कम क्यों मिलती है, और मुनीम  को ज्यादा सैलरी  क्यों  मिलती है. 

सेठ ने कहा की, लल्लू तेरी तो ये सैलरी भी मुझे महंगी  पड़ती है, और मुनीम तो इस सैलरी में भी सस्ता है. 

लल्लू ये सुन कर तुनक गया, और सेठ से बोला, सेठ जी, ये कोई बात नहीं हुई, अब तो आप साबित कर के बताओ, की मैं महंगा कैसे, और मुनीम सस्ता कैसे. आप मुझे मुनीम का काम करा कर देखो, मैं भी ये काम कर सकता हूँ 

सेठ ने कहा बिलकुल, कल ही पता चल जायेगा। कल मुनीम  दिन की छुट्टी पर जा रहा है, तो उसकी जगह तुम उसका काम कर लो, फिर तुम्हे पता चल जायेगा की मेरी बात कितनी सही है. कल हमारा सामान नाव से आने वाला है तुम पता करों और मुनीम के जैसे काम कर के दिखाओ।
अगले दिन सुबह-सुबह  लल्लू नदी पर गया, और दोपहर तक वापस आकर बोला, सेठ जी हमारा माल आ गया है. सेठ ने पूछा, कितनी नाव आई हैं और क्या सामान आया है. 

लल्लू ने कहा, ये तो मैंने पता नहीं किया, मैंने तो बस सामान का पता किया था. मैं अभी पता कर के आता  हूँ 
वो फिर से नदी पर गया और शाम तक पता कर के आया और बोला, सेठ जी 3 नाव आई है इनमें  काजू  और बादाम आयें हैं अब सेठ ने पूछा, की कितनी-कितनी बोरियां आयीं हैं  

लल्लू ने कहा, सेठ जी ये क्या बात हुई आप एक बार में सारें काम क्यों नहीं बतातें, 

सेठ ने कहा, ये ही तो तेरी कमी है, तू उतना ही करता है, जितना कहा जाता है।  अपनी समझ को, और नहीं बढ़ाता है. इतने समय से ये काम देख रहा है, पर तूने कभी खुद से जानकारी लेने की कोशिश नहीं की, बाज़ार जा कर भी तूने अपना ज्ञान बढ़ाने की कोशिश नहीं की,

अब  कल मुनीम को आने दे, और देख, की वो क्या करता है.

अगले दिन मुनीम शाम को आया, और सेठ को 20 लाख रूपए देकर कहा, सेठ जी जाते समय मैं पता कर के गया था, की हमारा सामान आने वाला है, जिसमे काजू और बादाम आने थे, इसलिए मैं पहले नदी पर गया, पता चला की, किसी और का भी यही सामान, शाम तक आने वाला है,

मैंने तुरंत सारा सामान, 100 Rs. प्रति किलो लाभ (profit ) पर बेच दिया, क्योंकि शाम तक और सामान आने से, लाभ (profit ) सिर्फ 60 Rs प्रति किलो रह जाता। और अगर मैं  आपसे पूछने भी आता, तो शाम हो जाती,  इससे प्रॉफिट और भी कम हो जाता। इसलिए मैं सभी सामान प्रॉफिट के साथ बेच आया.

"हम सभी तरक्की (Success ) चाहतें हैं,  पर जो कर रहे होतें हैं,  उसके नए तरीको और ज्ञान को जितना बढाएंगे, उतनी ही हमारी तरक्की (Success ) हो सकती है - न उससे कम - न उससे ज्यादा 
  
संजय माकड़
9311226033
www.CDRhindi.blogspot.in


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DTP Operators - A Training Can Change your Life

A Training Can Change your Life



Training क्यों ?
प्रशिक्षण आपके समय को बचाने के लिए उपयोगी है. आज कई लोग डीटीपी के क्षेत्र में काम कर रहें हैं और इस क्षेत्र में अपनी आय को बढाना चाहते हैं. लेकिन वो इस क्षेत्र में बहुत साल लगा कर भी, बहुत कम कमाई कर पा रहें हैं 

Training में आप, थोड़ा पैसा तो खर्च करतें हैं, पर कई साल की मेहनत भी बचा लेतें हैं। 


आइये इसे उदाहरण से जानतें हैं -


मिस्टर राम डीटीपी ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे हैं, और वेतन है रुपए 6,000 प्रति माह. ये सैलरी उनके खर्चों को पूरा करने के लिए काफी नहीं है. 

हर साल उनकी सैलरी में, सिर्फ 500 Rs. से 1000 Rs. तक की ही बढ़ोतरी हो रही थी, इस तरह 3 साल के बाद, उनकी सैलरी सिर्फ 7500 रुपए या 8,500 रुपए तक ही होती।

उन्होंने डीटीपी का काम खुद से करते हुए सीखा था, पर अब समझ नहीं पा रहे थे, की अपनी कमाई कैसे बढ़ाएं.

अब कैसे, वह अपने वेतन को और बढ़ा सकते हैं?
केवल एक ही रास्ता है, जब भी वो अपने डीटीपी के ज्ञान को और बढ़ाएंगे (जैसे कलर डिजाइनिंग, फोटो एडिटिंग, फ़ास्ट वर्किंग, जॉब को फाइनल करना यानि आउटपुट फिल्म बनाना इत्यादि।) उनकी सैलरी बढती जाएगी और न केवल सैलरी बल्कि वो अपना काम 
करके भी, और कमाई कर सकेंगे।   

इसलिए अपने फ्यूचर के लिए उन्होंने, Colour Designing की ट्रेनिंग ली, और ट्रेनिंग के बाद अपनी सैलरी को सिर्फ 3 महीने में 8000 Rs. महिना तक पंहुचा दिया।

अब इसे तुलना करके देखते हैं -
3 माह के प्रशिक्षण के बाद, Rs 8,000 प्रति माह (वर्तमान वेतन से रुपए 2,000
अधिक )

1 वर्ष में - रु. 2,000 x 12 महीने = रु. 24,000 एक्स्ट्रा इनकम, अगर वो अपना ज्ञान नहीं बढ़ाते, तो ये पैसे वो नहीं ले पातें।  इस के साथ ही उन्हें अपने आप पर भरोसा बढ़ जायेगा और वह ज्यादा पैसे वाली नौकरी को पाने के लिए भी, खुद को काबिल समझेंगे। इस तरह सिर्फ ट्रेनिंग से ही उनकी जिन्दगी बदल सकी और सिर्फ चंद महीनों में।


अब आपने सोचना है की, आप कब, अपनी जिन्दगी बदलना चाहतें है, 1 साल बाद, 1 महीने बाद, कल, आज या अभी, ये फैसला आपके हाथ है, 

कोई और नहीं - खुद आप ही, अपनी जिन्दगी बदल सकते हैं।

हमारी शुभकामनाये आप के साथ हैं - आप तरक्की करें दिन दुनी - रात चोगुनी  

अपने डर को जीतें

जो काम हम कर रहे होते हैं जैसे desiging, coreldraw या photoshop में काम करना. पर कंफ्यूजन में रहते हैं या मन डरा-डरा सा रहता है कहीं हमारा जॉब छपने के बाद ख़राब ना हो जाये. नुकसान ना हो जाये. साथ ही किसी भी काम में बहुत ज्यादा समय लगता है यानि performance स्लो होती है.

इन सब कारणों से, हमें जरुरत से ज्यादा समय देना पड़ता है, और हमारी कमाई या सैलरी भी कम रहती है. हम भी, ज्यादा सैलरी तो छोड़ो, ये शुक्र मना रहे होते हैं की, जॉब बची रहे, अगर हमारा अपना काम है, तो जो पैसे हमने लगाये है बस वो ही मिल जाये, ऐसा सोचते रहते हैं. इस तरह हमारी मेहनत बेकार चली जाती है. कस्टमर भी हमारी इस कमी की वजह से हम पर दबाव बना कर रखता है.

ट्रेनिंग से हम किसी के द्वारा कमाये हुए कई बरसो के अनुभव को, जिसे उसने कई साल लगा कर वो ज्ञान (knowledge) अर्जित किया है, उसके द्वारा दी गयी Training से, और उसके अनुसार प्रैक्टिस करके वो ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और अपने को मास्टर बना सकते है. वो भी सिर्फ कुछ दिनों में ही. वो हमे सिखा देता है की हम कहाँ गलत होते हैं और इसके क्या कारण हैं.

इससे काम करने की क्षमता (performance) एकदम से बढ़ जाती है. हम समझ जाते है की, कितना करना है कैसे करना है. हम ज्यादा काम, कम समय में कर पातें हैं. डर बिलकुल गायब हो जाता है आत्मविश्वास बढ़ता है और हम सही मायनो में अच्छी कमाई कर रहे होते हैं.

मैंने इन्ही सब बातों को ध्यान में रख कर CorelDraw और Photoshop की Professional विडियो Training हिन्दी में बनाई है। उसके बारे में और जानकारी तथा सैंपल विडियो के लिए निचे दिए लिंक पर क्लिक करें  

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